यदि आप chapter 3 history class 6 in hindi(आरंभिक नगर) से संबंधित नोट्स व अन्य अध्ययन सामग्री को पढ़ना चाहते है तो आपको इस लेख में इस विषय से संबंधित बहुत अच्छी जानकारी मिलेगी|
Table of Contents
इतिहास को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जाता है प्रथम प्राचीन इसके बाद मध्यकालीन व इसके बाद का समय आधुनिक काल के रूप में जाना जाता है|
हमारे द्वारा इस लेख में ncert chapter 3 history class 6 in hindi notes को इस प्रकार उपलब्ध कराया गया है कि आपको संक्षिप्त में पूरी जानकारी मिल भी जाए और कोई महत्वपूर्ण विषय छूटे भी नही|
इसके अलावा हम अपने लेखों को समय- समय पर अद्यतन(update) भी करते रहेंगे ताकि आपको अच्छी से अच्छी जानकारियां उपलब्ध करवा सके।
Subject | इतिहास |
Class | 6 |
Book Name | हमारे अतीत -1 |
Total Chapters | 10 |
Chapter | अध्याय- 3 |
Chapter Name | आरंभिक नगर |
Language | हिंदी |
आप क्या सीखेंगे:
- हड़प्पा सभ्यता की शुरुआत
- विशेषता व नगर प्रणाली
- जीवनशैली
- सभ्यता का अंत
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विषयवस्तु:-
1. प्रारंभिक कथन : क्या, कब, कहाँ और कैसे?
2. आखेट-खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक
3. आरंभिक नगर
4. क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
5. राज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य
6. नए प्रश्न नए विचार
7. राज्य से साम्राज्य
8. गाँव, शहर और व्यापार
9. नए साम्राज्य और राज्य
10. इमारतें, चित्र तथा किताबें
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NCERT History Class 6 इस पुस्तक में मुख्य रूप से प्राचीन भारतीय इतिहास के बारे में संक्षेप रूप मे बताया गया है| इसमें प्राचीन भारतीय इतिहास की एक भूमिका को उजागर करने का प्रयास किया गया है| इस पुस्तक में कुल बारह अध्याय है और हमारे द्वारा सभी पाठ के लिए नोट्स तैयार किये गए है।
पिछले अध्याय के बारे में :
इस अध्याय में मुख्य रूप से पाषाणकाल के बारे में बताया गया है जिसमे ये चर्चा की गई है कि उस समय के मानव ने कैसे तत्कालीन परिस्थितियों में अपने आप को ढाला था।
Chapter 3 History Class 6 in Hindi Name
आरंभिक नगर (In the Earliest Cities)
अध्याय 3
प्रस्तावना
Chapter 3 History Class 6 Notes in Hindi
इस अध्याय में हड़प्पा सभ्यता के बारे में बताया गया है जिसमे सभ्यता के शुरुआत से लेकर सभ्यता के अंत तक के बारे में बताया गया है।
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हड़प्पा सभ्यता
इनके स्थानों को सबसे पहले पता तब चला जब अंग्रेजों द्वारा पंजाब में रेलवे लाइन(लगभग 150 वर्ष पहले) बिछाई जा रही थी हालाकि तब उस समय के मजदूरों ने इस स्थान को केवल एक खंडहर माना था और इसीलिए वो इस स्थान से बहुत सारी ईंट ले गए जिससे उन्होंने रेलवे लाइन बिछाई इससे कई इमारतें भी नष्ट हो गई| हड़प्पा सभ्यता की खोज लगभग 80 साल पहले की गई थी| क्योंकि सबसे पहले जिस स्थान को खोजा गया था उसका नाम हड़ापा था जिस कारण बाद में खोजे गए सभी स्थानों को भी हड़पा सबहायता के स्थानों के नाम से जाना जाने लगा| इन शहरों का निर्माण लगभग 4700 वर्ष पहले शुरू हो गया था|
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सभ्यता के नगरों की विशेषता:
यहां के नगर दो हिस्सो मे थे:- पश्चिमी भाग(नगर दुर्ग) छोटा लेकिन ऊंचाई पर( इसमें शासक तथा अन्य वर्ग रहा करते थे) तथा पूर्वी भाग नगर(निचला नगर) बड़ा था(इसमें आम जनता निवास करती थी)|
ये नगर पंजाब( आधुनिक पाकिस्तान) सिंध,गुजरात,राजस्थान,हरियाणा तथा अन्य प्रांत में मिले है| यहां से पुरातत्वविद को मिट्टी के लाल बर्तन जिसपर काले रंग के चित्र बने है मिले है| इसके अलावा पत्थर के बात, मनके तथा तांबे के उपकरण आदि मिले है|
मोहनजोदड़ो में एक विशाल स्नानागार मिला है जिसे पुरातत्त्वविदो ने महान स्नानागार का नाम दिया है| इसे बनाने के लिए इंट व प्लास्टर का प्रयोग हुआ है| पानी के बहाव को रोक के लिए प्लास्टर का भी प्रयोग एवम इसमें तालाब में उतरने के लिए दोनो तरफ सीढ़िया तथा चारो तरफ कमरे बनाए गए है| इसमें पानी कुओं से भरा जाता था टाटा उपयोग न होने पर खाली कर दिया जाता था|
मोहनजोदड़ो में लगभग 7000 वर्ष पूर्व कपास की खेती होती होगी।
सामान्यत यह के घर एक या दो मंजिल थे| कमरे आंगन के चारो ओर बने होते होते थे सभी घरों में स्नानागार होता था तथा कुछ घरों में कुएं भी होते थे|
नालियों की व्यवस्था थी इनके थोड़े ढलान के साथ बनाया जाता था| घरों की नालियों को बाद में बड़े नालियों से भी जोड़ा जाता था|
घर नाली तथा सड़को( एक दूसरे को समकोण पर काटती थी) की व्यवस्था सुनियोजित थी|
इन सबके अलावा हड़प्पा सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थलों में मोहनजोदड़ो,कालीबंगा,लोथल,राखीगढ़ी आदि प्रमुख है यहां से भी इस सभ्यता के महत्वपूर्ण अवशेष मिले है| इस सभ्यता के बहुत से स्थान सिंधु तथा इसके सहायक नदियों(रावी,व्यास आदि) के किनारे बसे हुए है जिस कारण इस सभ्यता को सिंधु- घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है|
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जीवनशैली कैसी थी
हड़प्पा के लोग गेहूं,जौ,दाल,मटर,धान, तिल तथा सरसो आदि उगाते थे(इस काल में हल का प्रयोग किया जाता था) एवम गाय,भैंस,भेड़ व बकरिया आदि पालते थे| सूखे के मौसम में जानवरों के चारे के तलाश में उनके साथ दूर तक जाते थे| ये लोग शिकार भी करते थे तथा मछली का भी सेवन करते थे|
लोथल तथा कालीबंगा के लोग यज्ञ करते थे क्योंकि यहां से अग्निकुंड के अवशेष मिले है| इसी प्रकार से हड़प्पा,मोहनजोदड़ो तथा लोथल में बड़े-बड़े भंडार गृह(इसमें अन्न का भंडारण किया जाता था) मिले है|
धौलावीरा– इस नगर मे एक खुला मैदान मिला है जिसका उपयोग बड़े- बड़े सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए किया जाता था|
लोथल:- पत्थर,धातु तथा अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओ से बनाई गई वस्तुओ का एक महत्वपूर्ण केंद्र था|
यह की नगर व्यवस्था भी सुनियोजित थी कई नगरों में ढंकी हुई नाली थी जिसे बड़ी सावधानी से सीधी लाइन में बनाया गया था और सभी में ढलान थी ताकि पानी आसानी से बह सके| यहां के शासक नगरों को खास बनाए की योजना में लगे रहते थे| इसी के साथ अन्य लोग भी रहते थे जो की विभिन्न-विभिन्न उद्योग में लगे हुए थे|
हड़प्पा नगर के शासक यहां के नगर को सुंदर बनाने की योजना में लगे रहते थे वे अपने दूत को दूर भेजकर उनसे धातु, बहुमूल्य पत्थर तथा अन्य कीमती वस्तु मंगवाते थे| नगरों में लिपिक लोग भी रहते थे जो की विभिन्न चीज पर लिखते थे(परंतु आज इनके प्रमाण नष्ट हो गए है)| इसके अलावा शिल्पकार भी रहते थे|
हड़प्पा के नगरों से पत्थर,शंख,तांबे,कांसे(हथियार,औजार,गहने) तथा अन्य धातु से निर्मित वस्तु भी मिले है| यहां के दश्तकार,शिल्पकार,लिपिक तथा अन्य कामकाजी वर्ग काफी निपुण था|
हड़प्पा के लोग पत्थर के आयतकार मुहर बनाते थे(इनपर जानवरों के चित्र भी मिले है)|
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कच्चे माल की उपलब्धता कहा-कहा से होती थी
टीन:- ईरान, अफगानिस्तान
तांबा:- राजस्थान,ओमान
बहुमूल्य पत्थर:– गुजरात,ईरान तथा अफगानिस्तान
सोना:- गुजरात,ईरान व अफगानिस्तान
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समकालीन सभ्यता:-
हड़प्पा सभ्यता के समकालीन ही दुनिया के अलग भागों में अन्य सभ्यताओं का भी विकास हो रहा था इसमें से मुख्य रूप से मिस्त्र की सभ्यता(नील नदी के किनारे) इसके शासकों द्वारा विशाल पिरामिड का निर्माण हुआ था, बेबीलॉन की सभ्यता और मेसोपोटामिया की सभ्यता है|
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सभ्यता का अंत
लगभग 3900 वर्ष पूर्व यहां अचानक से बहुत से परिवर्तन हुए| लोग नगर छोड़ने लगे| मुंह तथा बातो का प्रयोग धीरे धीरे समाप्त हो गया| कंचे माल का आयात खतम हो गया|
सभ्यता के अंत को लेकर मत:-
- बाढ़ का आना(बाढ़ के आने के उर्वर भूमि भी भारी गिरावट)
- नदी का सुख जाना
- नदी का रास्ता बदला(उर्वर भूमि की कमी)
- जंगलों का सुख जाना
- बस्तियां उजर गई
- शासकों का नियंत्रण धीरे-धीरे कम होना
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कुछ महत्वपूर्ण तिथि:-
- मेहरगढ़ में कपास की खेती:- 7000 वर्ष पूर्व
- नगरों का आरंभ:- 4700 वर्ष पूर्व
- नगरों के अंत की शुरुआत:- 3900 वर्ष पूर्व
- नए नगरों का विकास:- 2500 वर्ष पूर्व
Class 6 History Chapter 3 in Hindi PDF
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अगला अध्याय 4
इस अध्याय में वेदों के बारे में बताया गया है कि हम कैसे इनकी मदद से इतिहास को जान सकते है इसी के साथ कब्रों की चर्चा भी प्राचीन इतिहास को समझने के उद्देश्य से की गई है।
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Chapter 3 History Class 6 in Hindi FAQs
इतिहास कक्षा 6 में कितने अध्याय हैं?
कक्षा 6 में कुल दस(10) अध्याय है और हमारे द्वारा सभी को तैयार किया गया है|
कक्षा 6 इतिहास अध्याय 3 का नाम क्या है?
कक्षा 6 इतिहास के अध्याय 3 का नाम आरंभिक नगर है|
इतिहास कक्षा 6 का अध्याय 3 क्या है?
इतिहास कक्षा 6 का अध्याय 3 “आरंभिक नगर” है|
इतिहास कक्षा 6 अध्याय तीन का क्या नाम है?
इतिहास कक्षा 6 अध्याय तीन का नाम ‘ आरंभिक नगर‘ है|
कक्षा 6 के इतिहास में अध्याय 3 का नाम क्या है?
कक्षा 6 के इतिहास में अध्याय 30का नाम (आरंभिक नगर) है|
हमारी विशेषता:-
1.हमारे नोट्स में सरल भाषा का प्रयोग किया गया है|
2.हमारे द्वारा उपलब्ध नोट्स संक्षिप्त एवं पर्याप्त है|
3.नोट्स को लिखते समय मुख्य बिन्दुओ का धयान रखा गया है|
4.आप इन नोट्स के PDF को भी प्राप्त कर सकते है|
5.हम आपके अध्धयन संबंधी सभी सवालों का जवाब देने के लिए सदैव तैयार है|
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इस प्रकार से हमने इस लेख में chapter 3 history class 6 in hindi के बारे विस्तृत रूप से बताया है। जिससे आपको आपके अध्ययन में सुविधा मिलेगी और आपको इतिहास के विषय को और अच्छे से समझने में भी सहायता मिलेगी|